Shark Tank India-3: इस Startup की कमाई सुनते ही उड़े सबके होश, मिली 'थ्री शार्क डील', जानिए कितने पैसे लगाए
शार्क टैंक इंडिया-3 (Shark Tank India-3) के छठे एपिसोड में आया स्टार्टअप (Startup) कलाकरम (kalakaram) बच्चों की क्रिएटिविटी और इमेजिनेशन को बढ़ाने का काम कर रहा है. यह एक आर्ट एंड क्राफ्ट बिजनेस का स्टार्टअप है, जिसे गुड़गांव में रहने वाले चैतन्य मल्होत्रा ने मार्च 2022 में शुरू किया था.
बदलते वक्त के साथ बच्चों का बचपन भी बदलता जा रहा है. पहले जहां बच्चे फिजिकल एक्टिविटी बहुत ज्यादा करते थे, अब उसकी जगह वर्चुअल रियल्टी ने ले ली है. शार्क टैंक इंडिया-3 (Shark Tank India-3) के छठे एपिसोड में आया स्टार्टअप (Startup) कलाकरम (kalakaram) बच्चों की क्रिएटिविटी और इमेजिनेशन को बढ़ाने का काम कर रहा है. यह एक आर्ट एंड क्राफ्ट बिजनेस का स्टार्टअप है, जिसे गुड़गांव में रहने वाले चैतन्य मल्होत्रा ने मार्च 2022 में शुरू किया था.
क्या है इस स्टार्टअप का बिजनेस?
यह स्टार्टअप आर्ट और क्राफ्ट से जुड़ी चीजों में डील करता है. इसके बहुत सारे डीआईवाई यानी डू इन योरसेल्फ किट हैं. बता दें कि यह ऐसी किट होती हैं, जिनमें किसी चीज या मॉडल को बनाने की तमाम चीजें मौजूद होती हैं. यह स्टार्टअप 4-14 साल के बच्चों के लिए डीआईवाई किट मुहैया कराता है. इन किट से बच्चे एंगेज होते हैं, जिनसे उनमें कॉन्फिडेंस आता है, एकाग्रता बढ़ती है और साथ ही प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल भी बढ़ती है. कंपनी के फाउंडर चैतन्य का मकसद हर बच्चे तक अपने प्रोडक्ट्स यानी डीआईवाई किट पहुंचाना है.
स्टार्टअप के प्रोडक्ट्स में खो गईं नमिता
इसमें मंडाला आर्ट भी हैं, जो आजकल काफी फेमस हो रहा है. नमिता को इस स्टार्टअप का बिजनेस इतना पसंद आया कि सारे शार्क कंपनी के फाउंडर के साथ बातचीत कर रहे थे, जबकि नमिता थापर एक मंडाला आर्ट बनाने में किसी बच्चे की तरह खो गई थीं. इस स्टार्टअप के प्रोडक्ट्स थोड़ा महंगे हैं, जिन पर पहले अनुपम मित्तल और नमिता थापर ने सवाल उठाया, लेकिन बाद में वह चैतन्य की बातों से इंप्रेस हो गए. उनके अनुसार यह महंगे इसलिए हैं, क्योंकि उनके प्रोडक्ट्स की क्वालिटी बेस्ट है और इसी वजह से लोग उनके प्रोडक्ट खरीदते हैं.
कितनी कमाई कर रहा है ये स्टार्टअप?
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मौजूदा वक्त में इस स्टार्टअप के प्रोडक्ट ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही चैनल पर मौजूद है. चैतन्य बताते हैं कि पिछले 1.5 साल में उन्होंने देश के 35 स्टोर्स में अपनी जगह बना ली है. अमेजन-फ्लिपकार्ट के अलावा कंपनी की वेबसाइट से भी प्रोडक्ट बिकते हैं. कंपनी का बिजनेस 90 फीसदी ऑफलाइन है और 10 फीसदी ऑनलाइन है. चैतन्य ने बताया कि 2025 तक ये इंडस्ट्री 4000 करोड़ रुपये तक हो सकती है.
मार्च 2022 में ये बिजनेस स्टार्ट हुआ, लेकिन अगस्त 2022 में कंपनी ने सेल्स शुरू कीं. चैतन्य बताते हैं कि सितंबर में 42 लाख, अक्टूबर में 45 लाख और नवंबर में करीब 50 लाख रुपये की सेल की. वित्त वर्ष 2023-24 के 5-6 महीनों में कंपनी ने करीब 1.5 करोड़ रुपये की कमाई की. वहीं 2024-25 में कंपनी का प्लान करीब 5 करोड़ रुपये की सेल करने का है. इतना ही नहीं, वह इस बिजनेस से 23 फीसदी का मुनाफा भी कमा रहे हैं, जिसे लगातार बिजनेस में ही री-इन्वेस्ट करते जा रहे हैं. जब चैतन्य ने कमाई के आंकड़े बताए, तो सभी शार्क हैरान रह गए और तालियां बजाने लगे.
चैतन्य बताते हैं कि उन्होंने इस बिजनेस के लिए डिस्ट्रीब्यूशन सेटअप करने में बहुत मेहनत की है. बीटूबी एग्जिबिशन में अपना बिजनेस लेकर पहुंचे हैं. जहां भी मौका मिलता है, अपने प्रोडक्ट को वहां प्रमोट करते हैं. उन्हें जहां भी अपने प्रोडक्ट का डिस्ट्रीब्यूटर बनाना होता है, वह पहले वहां जाते हैं और फिर उनके फेवरेट प्रोडक्ट से अपने प्रोडक्ट की तुलना करते हैं, जिसके बाद अपना प्रोडक्ट बाजार में उतारते हैं.
मिली थ्री शार्क डील
चैतन्य ने अपनी पिच देते वक्त 50 लाख रुपये के बदले 2.5 फीसदी इक्विटी की मांग की थी. इस स्टार्टअप का बिजनेस तो सभी को पसंद आया, लेकिन विनीता ने इसमें निवेश नहीं किया, क्योंकि उन्हें मार्केट छोटा लगा. वहीं अमन गुप्ता इसमें अकेले निवेश करना चाहते थे, इसलिए उनके साथ भी बात नहीं बनी. वहीं पीयूष बंसल, अनुपम मित्तल और नमिता थापर ने एक साथ 10 करोड़ रुपये की वैल्युएशन पर 6 फीसदी के लिए 60 लाख रुपये का निवेश किया.
कहां से आया इस बिजनेस का अइडिया?
चैतन्य बताते हैं कि करीब 50 साल पहले दिल्ली के सदर बाजार उनके दादा जी की खिलौने की चीजों का होल-सेल का बिजनेस था. हर स्टेशनरी की दुकान में आपको आर्ट एंड क्राफ्ट से जुड़ी चीजों का एक सेक्शन देखने को मिलेगा. इसमें डीआईवाई किट, गुगली आई, रिबन, कलर जैसी तमाम चीजें होती हैं.
क्यों ये स्टार्टअप एक विरासत जैसा है?
चैतन्य मल्होत्रा ने अपने पुराने बिजनेस को और आगे बढ़ाते हुए आर्ट एंड क्राफ्ट को एक नई पहचान देने का फैसला किया. वह बताते हैं कि इस स्टार्टअप का नाम भी उनके दादा और पिता के नाम से मिलकर बना है, जिन्होंने उन्हें बिजनेस के तमाम गुर सिखाए हैं. चैतन्य बताते हैं कि इस स्टार्टअप का नाम उनके पिता कमल मल्होत्रा और दादा जी रामनाथ मल्होत्रा से मिलकर बना है. यही वजह है कि चैतन्य अपने इस स्टार्टअप को सिर्फ एक कपंनी, बिजनेस या ब्रांड की तरह नहीं देख रहे हैं, बल्कि एक लीगेसी यानी एक विरासत की तरह देखते हैं.
क्या है फ्यूचर का प्लान?
नमिता थापर ने पहले तो कहा था कि इस स्टार्टअप के प्रोडक्ट महंगे हैं. वहीं बाद में जब उन्होंने उठकर तमाम प्रोडक्ट्स को देखा तो उन्होंने अपन शब्द वापस लिए और कहा कि आपके प्रोडक्ट बहुत अच्छे हैं, इनमें बहुत सारी वैरायटी है. आने वाले दिनों में चैतन्य भारत में डीआईवाई के सेंटर और कैफे बनाना चाहते हैं, जहां लोग आकर डाइन और प्ले एक्सपीरियंस ले सकेंगे. शार्क टैंक में आना चैतन्य का सपना था, जो अब साकार हो गया. वहीं यहां आकर उन्हें फंडिंग भी मिल गई, जबकि अब तक उनका बिजनेस बूटस्ट्रैप्ड था, जिसमें उनकी और उनके पिता ही 50-50 फीसदी की हिस्सेदारी है.
12:09 PM IST